मोबाइल की लत
मोबाइल की लत
बुआ जी ने कहा हाँ बेटा ।
तो उसे खाना क्यो नहीं खिला रही आप? मैंने थोड़ा परेशान होकर पूछा ।
वो फोन चार्ज पर लगा है ना इसलिए ।
हाँ तो खाने का फोन से क्या कनैक्शन है ? अब मैं परेशान होने के साथ झल्ला भी गई थी।
अरे! वो हमारा राजा बेटा न बिना फोन के खाना ही नहीं खाता है।
इस बात को सुनकर गुस्सा तो बहुत आया मुझे पर लिहाज के कारण कुछ बोल नहीं पाई मै।
बुआ जी उसकी मोबाइल की लत को अमीरों वाले शौक समझ कर बहुत गर्व से बता रही थी और सिर्फ 2 ही साल का था समय अभी।
2 दिन रही मै बुआ जी के पास और 2 दिन मे शायद मुश्किल से मैंने 2 बार समय को फोन से दूर देखा होगा वो भी फोन के लिए रोते हुए।
अभी उनको इस बात पर पता नहीं क्यो बहुत गर्व हो रहा था पर ऐसे माता- पिता, दादा – दादी को तब समझ आता है जब उनका बेटा – बेटी या पोता-पोती हर चीज़ या बात से ऊपर मोबाइल फोन को रखते है फिर वो उसी मोबाइल फोन मे “बच्चो से मोबाइल की लत कैसे छुड़ाये,, खोजते मिल जाते है।
पहले वो खुद बच्चो को मोबाइल की लत लगाते है और इसे गर्व की बात समझते है।
कई बार उसे समय ना देकर फोन पकड़ा देते है और धीरे-धीरे ये बच्चो की लत बन जाती है और बाद मे यही लोग शिकायत करते है कि उनका बच्चा उन्हे टाइम नहीं देता फोन मे लगा रहता है पर सोचने कि बात ये है कि इन सबकी जड कहा है?
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