इंतज़ार
तुमने खाना खा लिया? वो अपनी महिला मित्र से पूछ रहा था फोन पर ।
आते ही रोज़ की तरह फोन लेकर अपने कमरे मे जाकर बैठ गया था वो।
उसकी माँ शारदा जी अभी भी उसे आवाज़ दे रही थी खाने के लिए।
काफी बार आवाज़ देने पर भी उसने सुना नहीं, तो वो उसके कमरे मे बुलाने गई थी उसे,
झल्लाकर उसने जवाब दिया था ,मैं खा लूँगा जब मुझे खाना होगा!
शारदा जी अपना काम करने रसोई मे चली गई।
उनका बेटा ना खाना खाने उनके पास आया, ना उसने रसोई से आती उनकी रोने की आवाज़ सुनी और ना ये देखा कि उन्होने भी अपने बेटे के इंतज़ार मे खाना नहीं खाया था ।
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माँ का लाडला बिगड़ गया।
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