दहेज प्रथा

 

शर्मा जी रिश्ता ढूंढ रहे थे अपनी बेटी कविता के लिए, अपने पैरो पर खडी थी वो, स्वभाव की भी अच्छी थी ( यहा मै ये नही लिख रही कि खाना बनाना जानती थी या पूरा घर संभाल लेती थी क्योकि ये कोई पैमाना ही नहीं है शादी का जैसा कि बाकी लेखो और सिरियल मे देखा होगा आपने ),  दहेज कि मांग कि वजह से शादी नहीं हो पा रही थी उसकी, कभी उसके पापा मना कर देते और कभी वो खुद ही मना कर देती। 
लगभग सभी मध्यम वर्गीय परिवारों और गरीब परिवारों मे यही हाल देखने मिलता है,  बेटी कितनी भी पढ़ी लिखी हो पर उसके माता पिता हमेशा उसके दहेज के लिए परेशान होते रहते है.
 शादी से पहले दहेज जोडने के लिए, शादी के वक्त ये सोच कर कि तय से ज्यादा ना मांग ले लड़के वाले, शादी के बाद ये सोचकर कि बेटी जब भी घर आएगी तब उसे कुछ न कुछ देना पड़ेगा। 
दहेज जोंक के कीड़े कि तरह चिपका हुआ है लोगो के दिमाग से कि नहीं दिया तो क्या होगा और इसी कि वजह से कई और कुप्रथाओ का जन्म होता है। 


दहेज प्रथा

                                                                 दहेज प्रथा

दहेज प्रथा का कारण- 
1.  इसका सबसे बड़ा कारण दहेज को सामाजिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखना है और ये सोच ज़्यादातर ऊच्च वर्ग के लोगो मे देखी जा सकती है और सोचने कि बात है कि इसका बकायदा बखान किया जाता है कि क्या और कितना दिया गया है और गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इसे एक रिवाज कि तरह निभाते चले आ रहे है कि कही इसके खिलाफ गए तो बेटी को खामियाजा ना भुगतना पड़े
2.  कई बार देखा जाता है कि लड़कियां खुद माता पिता पर दबाव डालती है कि उन्हे अच्छा दहेज दिया जाए ताकि वो ससुराल मे उसका रौब झाड़ सके
3.  इसको एक तरह से लड़की कि वितीय सुरक्षा से भी जोड़कर भी देखा जाता है
4  इसके पीछे एक सोच ये भी है कि शादी अंतिम उपलब्धि होती है या कन्या का विवाह अनिवार्य है, जबकि सोच को सुधारने पर कोई ध्यान नहीं देता है
 बच्चो के दिल दिमाग मे यही भरा जाता है कि उनको शादी तो करनी ही है और लड़कियो के मामलो मे ये थोड़ा सा ज्यादा होता है.
 दहेज प्रथा का समाधान -
1. इसका समाधान कई लोग शिक्षा को बढ़।वा देना बोल सकते है पर कई पढ़े लिखे शिक्षित लोग भी दहेज मांगते और देते है जबकि ये सिखाना परवरिश का हिस्सा होना चाहिए कि दहेज लेना ही गैरकानूनी और अमानवीय है। 
2.  लड़कियो को ये सिखाया जाए कि शादी उनकी अंतिम उपलब्धि नहीं है और दहेज के पैमाने पर मिली प्रतिष्ठा उनके किसी काम की नहीं है और अगर लड़का है तो ये सिखाया जाए कि दहेज लेना ही गलत है।
3.. दहेज प्रथा कानून को भी सख्त बनाया जाए ये जरूरी है पर सिर्फ यही काफी नहीं है जब तक परवरिश मे दिये गए मूल्यो को उच्च ना बनाया जाए।

You may also like-

टिप्पणियाँ

  1. That's totally true 👍 shuruwat aj hum krenge to use hmare bache b yai sekhenge ki na dahej lena chaiye aur na dena😊

    जवाब देंहटाएं
  2. Beti ke mata pita shaadi achhe ghar me karne ke liye Dahej dete hai unka manna hai ki achhe ladke ke liye achha paisa lagana he padega aur aisey he ladke wale hote hai jo apne ladke ki achhi job hone ka tax Dajeh ke roop me lete hai, ye dono taraf wali soch karan hai dahejpratha ka.
    Ye baat sahi hai ke Dahej na lene ka gyan bachpan se dena chahiye, lekin dajeh ke liye ek sakht kanoon ban jayega tab aur jyada hum dajeh par rok lga sakte hai, kanoon aaj bhi hai par wo sakht nahi hai abhi...

    जवाब देंहटाएं
  3. शादी के मामले मे छूट होनी चाहिए जिसे चाहिए करे जिसे चाहिए ना करे पर ऐसा होता नहीं है 😂😂

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

इंतज़ार

shikhar dhawan ki wife

Introverts ke questions