बालश्रम

 

मम्मा, वो अपनी मम्मी के साथ कहा जा रहा है ?  हम सब के साथ स्कूल क्यों नहीं चलता है ? 
एक 9-10 साल के बच्चे को देखकर प्रिया ने पूछा। उस समय तो उसकी माँ श्वेता ने उसे अनसुना कर दिया। 

 घर आकर 5 साल की बच्ची प्रिया ने वह सवाल वापस दोहरा दिया । बताओ ना मम्मा ! क्या वो किसी पार्क मे खेलने जाएगा क्योकि प्रिया के हिसाब से उसकी उम्र के बच्चों के लिए इकलौती जगह स्कूल ही थी और ये था भी सही। 
श्वेता ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसे खाना खिलाकर सुला दिया 


अगले दिन फिर से प्रिया ने उस बच्चे को देखा और वह सवाल फिर से दोहरा दिया, इस बार श्वेता ने उसे डांट कर चुप कराया और अगली बार ये सवाल ना पूछने की हिदायत भी दे डाली , क्योकि श्वेता अपनी 5 साल की बच्ची को उसकी सपनों की दुनिया मे रखना चाहती थी जहा बच्चे स्कूल और खेल के मैदान के अलावा कहीं और जा ही नहीं सकते। 

बालश्रम

बालश्रम


                                                                 बालश्रम


इसके कुछ दिन बाद श्वेता को प्रिया को स्कूल से लेने जाने मे थोडी देर हो गई थी, श्वेता ने देखा  प्रिया उसी बच्चे के पास बैठकर उससे बात कर रहीं थी और पूछ रही थी, तुम्हारे वाले स्कूल की छुट्टी है क्या ? उस दस साल के बच्चे की आंखो मे चमक देखी थी श्वेता ने स्कूल का नाम सुनते ही, फिर एकदम से वो बोला – हम स्कूल नहीं जाते हैं। 
श्वेता पास ही खडी सब सुन रह थी लेकिन प्रिया का ध्यान उस पर नहीं था। प्रिया ने फिर सवाल किया – तुम्हारी मम्मी तुमको स्कूल नहीं छोडने आती है क्या? 
उस बच्ची के दिमाग मे स्कूल नहीं जाने का सिर्फ यह एक ही कारण हो सकता था।

 इसके बाद लगभग एक महीने  तक प्रिया ने देखा उसकी मम्मा पहले से थोडी ज्यादा बिजी हो गई थी और फिर एक दिन प्रिया ने उस बच्चे को स्कूल ड्रेस मे देखा, उसका नाम कुलदीप था जो प्रिया ने उसके स्कूल के आई डी कार्ड पर देखा था।

 एक  महीने पहले कुलदीप के घर गई थी जब श्वेता, तब उसकी माँ ने बताया था कि उसके पिता बाहर कहीं काम करते हैं और उसकी एक छोटी बहन और एक छोटा भाई भी था और कुलदीप अपनी माँ के साथ मजदूरी करने जाता था। 

उस समय जब श्वेता ने कुलदीप की माँ से बात की थी, तब उसकी माँ ने कुलदीप की बहन के लिए कहा था अगले साल से ये भी काम पर जाएगी। तब श्वेता को पता चला उसकी माँ अगले साल से उस छोटी सी बच्ची को भी एक होटल मे साफ़ सफाई के काम पर लगाना चाहती थी। 
जब श्वेता ने उन दोनों की पढाई के लिए पूछा तो उसने जवाब दिया- क्या करेंगे पढाई करके! और फिर बेटी की तरफ इशारा करते बोली इसकी शादी के लिए भी तो पैसे जमा करने हैं, कमाएगी तो इसी के काम आएगा। काफी समझाने के बाद और समय आने पर उसकी बेटी की शादी मे मदद का भरोसा दिलाने के बाद, वो कुलदीप को स्कूल भेजने के लिए राजी हो गई, पर बेटी को वो अभी भी स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं थी। 

बाल श्रम निषेध आधिनियम 1986 लागू तो है पर जब तक माता-पिता बच्चों की पढाई से ज्यादा उनके काम पर जाने से होने वाल कमाई को देखेंगे, तब तक कोई भी कानून इस समस्या को जड से खत्म नहीं कर सकता। 

बाल श्रम निषेध आधिनियम 1986 को संशोधित करके श्रम कानून 2016 भी बनाया गया, लेकिन बाल श्रम एक सामाजिक समस्या है। 

अगर बाल श्रम को रोकने के उपाय और प्रयास की बात करें तो सबसे मुख्य उपाय है शिक्षा का प्रचार प्रसार करना और शिक्षा को हर बच्चे के लिए सुलभ बनाना, क्योकि अगर माता-पिता शिक्षा का महत्व समझेंगे तो अपने बच्चे को किसी होटल या कारखाने मे मजदूरी कराने की बजाय उसे स्कूल भेजेंगे। 

अब कुलदीप का एडमिशन हुए स्कूल मे 2 महीने  से ज्यादा हो गए हैं और श्वेता उसके दोनों छोटे भाई-बहन को भी स्कूल लाने का प्रयास कर रहीं है, लेकिन अभी तक भी प्रिया को नहीं पता कि कुलदीप पहले स्कूल क्यों नहीं आता था, क्योकि श्वेता, प्रिया को उस सपनों की दुनिया मे ही रखना चाहती थी जिसमे बच्चे घर से बाहर सिर्फ स्कूल मे पढने और पार्क मे खेलने जाया करते हैं।

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टिप्पणियाँ

  1. The biggest reason for child labor is poverty in our country. People from poor families are unable to run their livelihood, so they send their children for child labor.
    Lakhs of children are orphaned in our country, this is also one of the reasons for increasing child labor. Some mafia people send those children to begging and labor by threatening them.

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