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अप्रैल, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पेंशन

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  पेंशन के लिए नाम जुड़वाने आई थी एक बूढ़ी महिला, मैंने पूछा था “आप अकेली आई है ?,, क्योकि लंबी लाईन मे लगने के बाद नंबर आया था उनका ।  उन्होने थकी हुई नज़र मुझ पर डाली और कहा, हाँ मै ही आई हूँ।  मैंने उनसे एक पेपर मांगा था जिसमे उनके बेटे का नाम हो मतलब घर के मुखिया का नाम हो ताकि उनकी पेंशन शुरू करवाई जा सके, वो अफसोस भरे लहजे मे बोली मेरा बेटा देगा नहीं मुझे पेपर, फिर वो चली गई और उनकी पेंशन शुरू नहीं ही पाई।                                                                      पेंशन मै सोच रही थी कि जिसने अपने बेटे के एक एक डॉक्युमेंट्स अपने हाथ से बनवाए है वो उनकी एक पेंशन शुरू करवाने के लिए अपने नाम के पेपर क्यो नहीं देगा ? You may also like- इंतज़ार

दहेज प्रथा

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  शर्मा जी रिश्ता ढूंढ रहे थे अपनी बेटी कविता के लिए, अपने पैरो पर खडी थी वो, स्वभाव की भी अच्छी थी ( यहा मै ये नही लिख रही कि खाना बनाना जानती थी या पूरा घर संभाल लेती थी क्योकि ये कोई पैमाना ही नहीं है शादी का जैसा कि बाकी लेखो और सिरियल मे देखा होगा आपने ) ,  दहेज कि मांग कि वजह से शादी नहीं हो पा रही थी उसकी, कभी उसके पापा मना कर देते और कभी वो खुद ही मना कर देती।  लगभग सभी मध्यम वर्गीय परिवारों और गरीब परिवारों मे यही हाल देखने मिलता है,  बेटी कितनी भी पढ़ी लिखी हो पर उसके माता पिता हमेशा उसके दहेज के लिए परेशान होते रहते है.   शादी से पहले दहेज जोडने के लिए, शादी के वक्त ये सोच कर कि तय से ज्यादा ना मांग ले लड़के वाले, शादी के बाद ये सोचकर कि बेटी जब भी घर आएगी तब उसे कुछ न कुछ देना पड़ेगा।  दहेज जोंक के कीड़े कि तरह चिपका हुआ है लोगो के दिमाग से कि नहीं दिया तो क्या होगा और इसी कि वजह से कई और कुप्रथाओ का जन्म होता है।                                  ...

समानता

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   1-  राहुल रोज़ ऑफिस के लिए लेट हो जाता था,  जब उससे पूछा तो बोला घर मे बहन नहीं है सब काम मम्मी को अकेले करना पडता है ।  मैंने कहा करवा सकते साथ मे, तो उसने कहा  ये  सब हम करेगे क्या झाड़ू, पोचा, बर्तन ।   2-   पड़ोसी की बेटी बीमार प ड़  जाती थी बार  बार, उसकी मम्मी  उसके बारे मे बात करती हुई बोली लड़की जात होकर बार बार बीमार पर जाती है ।  3-  एक साथ काम करने वाला लड़का परेशान था कुछ दिन से मैंने पूछा तो बोला घर मे financial problem चल रही है मैंने कहा तुम्हारी सिस्टर नहीं करती जॉब? वो बोला वो क्यो करेगी मेरी ही जिम्मेदारी है मुझे ही करना है । 4-   एक दूसरे साथ कम करने वाली स्टाफ को एक्सट्रा रुकने के लिए  कहा    तो बोली घर मे काम है, मैंने पूछा तुम्हारा भाई? उसने कहा की वो तो जॉब करता है वो कैसे करवा सकेगा जबकि जॉब वो खुद भी करती थी ।   some stories that hurts.                                   ...

बालश्रम

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  मम्मा, वो अपनी मम्मी के साथ कहा जा रहा है  ?   हम सब के साथ स्कूल क्यों नहीं चलता है ?  एक 9-10 साल के बच्चे को देखकर प्रिया ने पूछा।  उस समय तो उसकी माँ श्वेता ने उसे अनसुना कर दिया।   घर आकर 5 साल की बच्ची प्रिया ने वह सवाल वापस दोहरा  दिया  । बताओ ना मम्मा ! क्या वो किसी पार्क मे खेलने जाएगा  ?  क्योकि प्रिया के हिसाब से उसकी उम्र के बच्चों के लिए इकलौती जगह स्कूल ही थी और ये था भी सही।  श्वेता ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसे खाना खिलाकर सुला दिया  अगले दिन फिर से प्रिया ने उस बच्चे को देखा और वह सवाल फिर से दोहरा दिया, इस बार श्वेता ने उसे डांट कर चुप कराया और अगली बार ये सवाल ना पूछने की हिदायत भी दे डाली , क्योकि श्वेता अपनी 5 साल की बच्ची को उसकी सपनों की दुनिया मे रखना चाहती थी जहा बच्चे स्कूल और खेल के मैदान के अलावा कहीं और जा ही नहीं सकते।  बालश्रम                                         ...

बस की सीट

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राघव को काफी देर हो गई थी आज ऑफिस में, अभी 2 ही दिन हुए थे उसे जॉब मिले।  जैसे ही वो मेट्रो मे एंटर हुआ उसके पीछे एक लड़की भी थी।  कुछ देर बाद उसके सामने वाली बस की सीट खाली हो गई और वो बैठ गया, राघव की नजर उस लड़की पर गई तो उसने ऐसे देखा जैसे राघव ने उसके हक की कोई चीज ले ली हो, पास ही बैठे एक अधेड़ उम्र के आदमी ने राघव से कहा की तुम्हें तमीज़ नहीं है वो लड़की खडी है और तुम बैठ गए ।  राघव बुरी तरह थका हुआ था दिन भर की भागदौड से पर फिर वो झल्लाकर खड़ा हो गया और वो लड़की इस तरह से बैठी जैसे जंग जीती हो उसने अपने हक की।  बस की सीट राघव के सामने ही कई बार दूसरे लड़को को भी टोका गया इसके लिए और मज़े की बात ये है की बराबरी की बात करने वालों को इसमे कुछ गलत भी नहीं लगता है ।  अगर वो अपने से किसी कमजोर, प्रेगनेंट या बुजुर्ग को सीट दे तो ये उनका अपना मत है और सामाजिक समझ है, पर कोई Female अपना हक कैसे मान सकती है इसे ?  और अगर कोई आदमी मना कर दे तो उसे बदतमीज़ कह देते है हम।    कोई भी Female चाहे माँ हो, पत्नी हो, बहन हो या गर्लफ्रेंड हो,  हम ये...

विधवा पुनर्विवाह

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10 साल की प्रिया आज फिर श्वेता के पास भागती हुई आई और अपने कुछ सवाल याद करवाने के लिए कहने लगी।   श्वेता दीदी बहुत पसंद थी प्रिया को, कोई भी सवाल होते वो उसके आगे आकर खड़ी हो जाती। श्वेता ने उसे पहला सवाल समझाना शुरू किया “विधवा पुनर्विवाह के संस्थापक कौन थे?’’ प्रिया ने बीच मे ही अपना सवाल किया “विधवा क्या होता है दीदी?’’   श्वेता ने उसे समझाया की जिनके पति भगवान जी के पास चले जाते है, उन्हे विधवा कहते है। प्रिया फिर बोली “तो दीदी जिनको सज़ा देनी होती है उनकी विधवा से शादी करवाते है” हे ना?   श्वेता ये सुनकार हैरान हो गई और बोली ये किसने कहा तुमसे ? वो बोली कल पापा चाचु को बोल रहे थे ना की जल्दी से शादी कर ले नहीं तो विधवा से करनी पड़ेगी।                                                              विधवा पुनर्विवाह उसको समझ ही नहीं आया की उस 10 साल की बच्ची को ये कैसे समझाए कि उन्होने ऐसा इसलिए कहा क्योकि...

बेचारा संजय

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  8 साल का संजय स्कूल से आकर रो रहा था, वो भाग़ता हुआ अपनी दादी के पास गया और उनके गले लगकर जोर जोर से रोने लगा। दादी ने रोते हुए संजय को बिना उसके रोने का कारण पूछे सिर्फ इतना कहा की संजय चुप हो जाओ, लड़के रोते नहीं है।  उसको अपनी दादी की गोद तो मिली पर एक पहेली के साथ।  कुछ साल बाद संजय के घर वापस आने पर उसकी माँ ने देखा संजय की आंखो मे पानी भरा हुआ था और उसके साथ घर वापस आई उसकी बहन आँसू बहा रही थी ,उसकी माँ श्वेता ने सिर्फ उसकी बहन को गले लगाया और उसकी तरफ ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया,  इस बार संजय शायद उस पहेली को सुलझा चुका था ।  2 साल बाद जॉब के पहले दिन घर आकर बहुत परेशान था संजय, जैसे ही उसके पापा प्रशांत उसके कमरे मे आए वो अपने पापा के गले लगकर रोने लगा, प्रशांत ने उसे दूर धक्का देकर एक हीराकत भरी नज़र उस पर डाली। इस बार संजय को समझ आया वो पहेली थी ही नहीं कभी भी,   वो एक समाज का बनाया हुआ पिंजरा है जिसमे आदमियो को रखा जाता है ताकि वो आदमी बने रहे, पर उसे सिर्फ पिंजरा ही दिखा था रास्ता नहीं दिखा उसमे से निकलने का इसलिए अब वो उसी मे रहता है...