पेंशन
पेंशन के लिए नाम जुड़वाने आई थी एक बूढ़ी महिला, मैंने पूछा था “आप अकेली आई है ?,, क्योकि लंबी लाईन मे लगने के बाद नंबर आया था उनका । उन्होने थकी हुई नज़र मुझ पर डाली और कहा, हाँ मै ही आई हूँ। मैंने उनसे एक पेपर मांगा था जिसमे उनके बेटे का नाम हो मतलब घर के मुखिया का नाम हो ताकि उनकी पेंशन शुरू करवाई जा सके, वो अफसोस भरे लहजे मे बोली मेरा बेटा देगा नहीं मुझे पेपर, फिर वो चली गई और उनकी पेंशन शुरू नहीं ही पाई। पेंशन मै सोच रही थी कि जिसने अपने बेटे के एक एक डॉक्युमेंट्स अपने हाथ से बनवाए है वो उनकी एक पेंशन शुरू करवाने के लिए अपने नाम के पेपर क्यो नहीं देगा ? You may also like- इंतज़ार