आईना

 

आईना

अरे सुनो- तुमने सुना ना उसने क्या कहा? 
श्वेता के सामने आईने मे खड़े इंसान ने उससे पूछा। 
 श्वेता ने पूछा- किसने ? 
अरे वो जो कल खड़ी थी ना कोने मे, बड़ी परेशान लग रही थी जब तुमने उस बच्चे को कुछ नहीं दिया खाने के लिए और मंदिर मे चली गई प्रसाद लेकर
 श्वेता ने कहा मुझे तो कोई नहीं दिखा। 
तुम्हें कैसे दिखाई नहीं दी वो? फिर उसने कहा
 अभी 2 दिन पहले भी तो तुम्हारे पास ही थी वो, जब उस अजनबी लड़की का एक्सिडेंट हुआ था और तुमने मदद नहीं की थी उसकी, उस वक्त तो उसकी आंखो मे पानी भी देखा था मैंने। 
श्वेता ने पूछा -पर वो थी कौन? उसने थोड़ा मुह बनाया फिर बोली, वो हर वक्त तुम्हारे सामने रहती है जब किसी को मदद की जरूरत होती है,  मैंने तुम्हें कितनी बार आवाज़ भी लगाई ताकि तुम उसकी बात सुन सको पर तुम्हें कुछ भी सुनाई ही नहीं देता। 
तुम्हें याद है तुम अभी पिछले महीने बस मे थी और एक औरत अपने बच्चे को लेकर खड़ी थी मैंने तुम्हें बताया भी था पर तुम्हें अपने फोन से फुर्सत मिले तब ना। 
 तभी बाहर से उसकी पड़ोसी की पत्नी की रोने की आवाज़ आने लगी और इतने मे उसके फोन पर मैसेज का notification बजा और वो वापस अपने फोन की दुनिया मे गुम हो गई
 आईने मे खड़े उस इंसान की आवाज़ हर बार की तरह इस बार भी अनसुनी कर दी उसने।
इस बार भी ना उसने अपनी अंतरआत्मा की आवाज़ सुनी ना मानवता की

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